साइटिका,Home remedies for sciatica pain in hindi
उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण नसों में होने वाला तेज दर्द, खासकर कमर से लेकर पैर की नसों तक को साइटिका का दर्द कहते है। इसका इलाज बेड रेस्ट, व्यायाम और दवाइयां है, लेकिन आप घरेलू उपायों और जड़ी बूटियों को अपनाकर भी इस दर्द से बच सकते हैं।
1-साइटिका का दर्द
अनियमित जीवनशैली तथा उठने-बैठने के गलत तरीकों के कारण नसों में होने वाला तेज दर्द, खासकर कमर से लेकर पैर की नसों तक को साइटिका का दर्द कहते है। दरअसल साइटिका खुद में बीमारी नहीं बल्कि बीमारियों के लक्षण हैं। कुर्सी या कंप्यूटर पर घंटों बैठ कर काम करने वाले लोगों को यह दर्द ज्यादा परेशान करता है। इससे उनकी नसों में तनाव उत्पन्न होता है। इसका प्रमुख लक्षण तब सामने आता है जब पीठ और पैर में दर्द होने लगता है। यह दर्द ऐंठन या अकड़न के कारण भी हो सकता है। इसका इलाज बेड रेस्ट, व्यायाम और दवाइयां है, लेकिन आप घरेलू उपायों को अपनाकर भी इस दर्द से बच सकते हैं। आइए ऐसे की कुछ घरेलू उपायों की जानकारी लेते हैं।
2-एक्सरसाइज
कई शोधों के अनुसार, साइटिका के दर्द के उपचार का सबसे उपयुक्त तरीका है व्यायाम। खासकर वे व्यायाम जिनमें शरीर को आगे की ओर खींचना होता है, क्योंकि इस प्रक्रिया द्वारा आप प्रभावित तंत्रिका जड़ों पर दबाव पड़ता है और आप राहत महसूस करते हैं। नियमित व्यायाम से कमर की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जाता है। व्यायाम से एंडोरफिन का स्राव भी अधिक होता है। एंडोरफिन कुदरती दर्दनिवारक है।
3-ठंडी और गर्म सिंकाई
साइटिका पेन आर्गेनाईजेशन के अनुसार, गर्म और ठंडी सिंकाई के उपयोग से साइटिका के दर्द से अस्थायी रूप से राहत पाई जा सकती है। ठंडा पैक सूजन को कम करने और परेशनियों को दूर करने के लिए शुरू में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके लिए जमे हुए मटर के बैग को एक साफ तौलिये में लपेटकर इसे 20 मिनट के लिए कई बार इस्तेमाल करें फिर उसे पुन: जमने के लिए रख दें। दो और तीन दिनों के बाद, परिसंचरण को बढ़ाने के लिए और सूजन को कम करने के लिए गर्म सिंकाई करें। इसके लिए आप गर्म पैच, हीटिंग पैड या हीटिंग लैम्प का उपयोग कर सकते हैं।
4-हरसिंगार
हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग सायटिका रोग को दूर करने में किया जाता है। औषधि बनाने के लिए हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बच जाये तब उतारकर ठंडा करके छान लें। फिर इसमें 1-2 रत्ती केसर घोंटकर मिला लें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएं। ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है।
5-सहजन
सहजन के अत्यंत सुंदर वृक्ष तो होते ही है साथ ही अनेक पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह बहुत ही उपयोगी और स्वास्थ्यवर्धक भी है। इसके फल, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। औषधि बनाने के लिए सहजन (मुनगा) की पत्तियां 100 ग्राम, अशोक की छाल 100 ग्राम और अजवाइन 25 ग्राम इन सब सामग्रियों को 2 लीटर पानी में उबा लें और जब यह पानी 1 लीटर बच जाये तो उसे छान कर रख लें। इस काढ़े को 50-50 ग्राम सुबह-शाम लें। इस प्रकार इसे 90 दिनों तक लेने से साइटिका का दर्द दूर हो जाता है।
6-कायफल
यह एक पेड़ की छाल है। जो देखने मे गहरे लाल रंग की खुरदरी लगभग 2 इंच के टुकड़ों मे मिलती है। ये सभी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी बेचने वाली दुकानों पर कायफल के नाम से मिलती है। इसे लाकर कूट कर बारीक पीस लेना चाहिए। बारीक पीस हुआ कायफल उतना ही अधिक गुणकारी होता है। औषधि बनाने के लिए के लिए लोहे/ पीतल/ एल्यूमिनियम की कड़ाही में 500 ग्राम सरसों का तेल लेकर गर्म करें। जब तेल गर्म हो जाए तब थोड़ा थोड़ा करके 250 ग्राम कायफल का चूर्ण मिलाये। जब सारा चूर्ण खत्म हो जाए तो इसे आग से उतार लें। फिर इस तेल को कपड़े से छान लें। दर्द होने पर इस तेल से हल्का गर्म करके धीरे धीरे मालिश करें। मालिश करते समय हाथ का दबाव कम रखें। उसके बाद सेक जरूर करे। बिना सेक के लाभ कम होता है।
7-अजावइन
नेचुरल न्यूज डॉट कॉम के अनुसार, अजवाइन के रस में प्राकृतिक एंटी-इफ्लेमेंटरी गुण मौजूद होते हैं। अजवाइन खाने का सबसे कुशल और पौष्टिक रास्ता इसका जूस लेना है। और इसके ताजा जूस को 20 मिनट के भीतर पी लेना चाहिए। अजवाइन का रस भरपूर नींद, गर्म और ठंडी सिंकाई और स्ट्रेच की अच्छी सहायक चिकित्सा है। साथ ही यह साइटिका में होने वाले दर्द, तकलीफ और सूजन को कम करने में मदद करता है। औषधि बनाने के लिए अजवाइन को थोड़े से पानी में डालकर अच्छे से उबाल लें। फिर इसे छानकर इस पानी का इस्तेमाल करें।
8-मेथी के बीज
मेथी दाना गुणों की खान है। मेथी दाने में फॉस्फेट, फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर आदि पोषक तत्व पाये जाते हैं। मेथी में प्रोटीन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है। मेथी हमें बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करती है। मेथी के बीज आर्थराइटिस और साइटिका के दर्द से निजात दिलाने में मददगार होते हैं। साइटिका की समस्या होने पर सुबह बासी मुंह एक चम्म्च मेथीदाना पानी के साथ निगल लें। इसके अलावा करीब 1 ग्राम मेथी दाना पाउडर और सौंठ पाउडर को मिलाकर गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से लाभ होता है।
9-कैमोमाइल
कैमोमाइल एक बहुत ही आम जड़ी बूटी है। इसके इस्तेमाल सूजन का नेतृत्व करने वाली विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज किया जाता है। ऐसा इसमें मौजूद मजबूत एंटी-इफ्लेमेंटरी गुणों के कारण होता है। कैमोमाइल में बीसाबोलल भी शामिल होता है। बीसाबोलल साइटिका के दर्द और सूजन से तुरंत राहत प्रदान करता है। जिन लोगों में सर्दियों के दौरान नसों में अधिक दर्द होता है उनका लोगों को सर्दियों के दौरान कैमोमाइल चाय एक दिन में तीन बार उपभोग करने की सिफारिश की जाती है। खुराक दर्द की तीव्रता के अनुसार अलग-अलग तरह से भी दी जा सकती है। बीसाबोलल में मजबूत एंटी-इफ्लेमेंटरी तत्व के कारण, कैमोमाइल साइटिका के इलाज के लिए सबसे अच्छी जड़ी बूटी माना जांता है।
Post a Comment